Wednesday 27 January 2016

नियति

नियति
शादी होने में अभी वक़्त था कि सड़क दुर्घटना में रमा का चेहरा विकृत हो गया, सिर्फ एक बार रवि का फोन आया था।
तीन साल होने को आये एक बार भी आकर देखा नही,
शायद अंतर की सुंदरता उसके लिए कोई मायने नही रखती।
अचानक रवि ने रमा को सामने देखा तो अचकचा कर बोला रमा तुम ! हाँ मैं, ही हूँ, मनोज ने मुझे सहारा दिया , आज तो दो कम्पनियों की मालिक हूँ।
तुम्हे तो पता ही था तुम्हारी सुंदरता का ही मैं पुजारी था। रमा! कहाँ खो गयी फिर अतीत में विचरण करने लगी हो क्या?, मनोज ने झिंझोड़ते हुए रमा से कहा।
शान्ति पुरोहित

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