Monday 18 January 2016

छुआछूत ,पेट पूजा

"छुआछूत "
पेट पूजा 
भोजन की सख्त जरूरत महसूस की जा रही थी, सभी शिकारी थक चुके थे।वापस जंगल से शहर का लंबा रास्ता तय करने के लिए शरीर में ऊर्जा की अति आवश्यकता थी।
" आप सब बहुत थके हुए, और भूख से बेहाल लग रहे हो , उच्च जाति के लोग लग रहे हो, निम्न जाति के व्यक्ति की भावना की कद्र करते हो तो खाना खा लो।
सुबह से शाम हो गयी है, आपको भूख तो अवश्य ही लगी होगी ।, जंगल में रहने वाले दंपति ने विनंती भरे लहजे में कहा। 
कल शाम से ही पेट में अन्न का एक दाना भी नही गया, मैं तो खा रहा हूँ ! उनमे से जिन पर जात -पात का ज्यादा ही भूत सवार रहता था , उसी व्यक्ति ने सबसे पहले पेट पूजा करी।
शान्ति पुरोहित

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