Tuesday 10 March 2015

गीतिका

गीतिका 
गुनगुनाती हूँ गीत बनकर
खिलखिलाती संगीत बनकर
अरमान दिल के दिल में दफन
मचलती रहती प्रीत बनकर
समुंदर जैसी गहरी खुशियाँ
बुँद बन टपकती गीत बनकर
बन रेगिस्तान मृगमरीचिका
जल बन चमकती मीत बनकर
रुत पतझर के पत्तो के मानिंद
बसंत खिली पल्लव पीत बनकर
शान्ति पुरोहित

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