Tuesday 10 March 2015

छंद मुक्त कविता

दुर्गा बन संघारक बनी
जन्मदायनि सृजनधर्मा 
ब्रह्मा बन सृष्टि रचना की 
विष्णु बन की पालन 
महेश बन कष्टो को काटा 
माँ तूँ अद्भुत प्राणी
शान्ति पुरोहित

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