Tuesday 10 March 2015

कामवाली बाई

कामवाली बाई )संघर्ष
"पडौसी आकर ना सम्भालते तो, आज आपके सामने 
ना होती मैडम, हीरा, ने क्षोभ के साथ कहा।" ऐसा क्या हुआ था ?, मैंने जिज्ञासावश पूछा "कमला के बापू ने उस दिन ज्यादा ही प्यार जता कर अपने हाथो से खाना बनाकर खिलाया । आश्चर्य तो बहुत हुआ पर किस्मत बदलती देखकर बिना विरोध किये हलक के नीचे उतार लिया। खाने के बाद होश आया तो अपने आप को अस्पताल के पलंग पर पाया। पर कहते है ना मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। शहर आकर आप सब लोगो के सहयोग से आज इज़्ज़त और शान की जिंदगी अपने बच्चों के साथ जी रही हूँ। सुबह- शाम मिलाकर दस घरो में चौका- बर्तन करती हूँ। " मैंने पूछा तुम्हारे पति का क्या हुआ ? ' और क्या होता! घर के किसी कोने पर पड़ा हुआ अपने जीवन की अंतिम सांस गिन रहा है।,
शान्ति पुरोहित

No comments:

Post a Comment