Friday 13 March 2015

गठ बंधन लघुकथा

गठ बंधन  लघुकथा
कैंसर पीड़ित नेहा ने अपने पति से कहा "क्या यही है तुम्हारा पति धर्म, इतना ही मान रखा शादी के हमारे गठबंधन का?, नेहा ने रुंधे गले से अपने पति कमल को कहा। कमल ने नेहा को उस वक़्त उसके मायके यह कह कर भेज दिया कि 'अब मैं घर बैठ कर तुम्हारी तीमारदारी करूँगा या दो पैसे की जुगाड़ में काम करूँगा।, पिघले शीशे के समान कमल के शब्द नेहा के कानो में गिरे थे। नेहा गिड़गिड़ाती कहती रह गयी कि "मेरे गरीब माता-पिता इतना महंगा इलाज नही करा सकते पर उसने एक ना सुनी ।
शान्ति पुरोहित

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