Wednesday 21 January 2015

दुखो से छुटकारा

दुखो से छुटकारा
आखिर आज मीरा ने दुखो से छुटकारा पा ही लिया| जीवन और मृत्यु के बीच की कड़ी टूट गयी | चिर शांति मिल गयी | अंतिम यात्रा में हजारो लोगो के साथ बहू बेटा भी चल रहे थे बेटा-बहु के रोज -रोज के आपस के झगड़े ने मीरा का सब खत्म कर दिया | बेटे ने पत्नी से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी | तब से अब तक बहू और बड़ा बेटा बहू और बेटियों ने मीरा को पैसो के लिए परेशान करने में कोई कसर नही छोड़ी थी | पिता ने व्यापर में कमाये धन को मीरा के बुढापे के सहारे के लिए बैंक में रख छोड़ा पैसा ही मीरा का जी का झंझाल बना | माँ की देखभाल के लिए किसी के पास समय कभी रहा नही | वृद्ध माँ दो -दो बहू के रहते खुद का खाना हाथो से बनाकर खाती थी | बेटा, बहू के आगे मेमना जो बना रहता था | जैसी करनी वैसी भरनी माँ ने अपने बचे हुए धन को अपने वकील की मदद से एक वृद्ध आश्रम बनाने में लगा दिया था | जिससे उस जैसे सताए वृद्ध वहां अंतिम दिनों में चैन की जिंन्दगी जी सके | माँ के मरने के तीसरे ही दिन लालची परिवार ने जब धन पाने के लालच में माँ का सामान सम्भाला तो पता चला धन तो माँ खर्च कर चुकी है |
शान्ति पुरोहित

Friday 16 January 2015

दर्द

दर्द
दर्द
बाप दारू पीकर टुन्न हो जाता है, माई लोगो के घरो में चौका बर्तन करके सुबह शाम पेट की अग्नि शांत करने के जुगाड़ में रहती है।पढ़ने की तीव्र इच्छा ना जाने मुझमे क्यूँ पैदा की ऊपर वाले ने। जब लोगो के घरो की गंदगी ही साफ करनी मेरे नसीब में लिखा। रामू के दिल में पनप रहे दर्द मकान मालिक की नजरो से ना छुप सका था| मकान मालिक की पत्नी से ये सहन नही हुआ| बोली ''तुम पढने स्कूल जाओगे तो खाओगे क्या ?, मकान मालिक अब जरुरी काम का बहाना बना कर बाहर निकल गया |
शान्ति पुरोहित