Tuesday 2 September 2014

दोहा मुक्तक
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हुई बावरी प्यार में,पाया मन का मीत
हार गयी दिल प्रीत में, फिर भी पाई जीत
अंतस पीड़ा का मर्म, जान सका न कोई
प्रेम बावरी मीरा,कृष्ण लिया है जीत
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शान्ति पुरोहित

3 comments:

  1. मन की भावुक अनुभूति
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

    आग्रह है --
    भीतर ही भीतर -------

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  2. ज्योति खरे सर आभार

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