कविता
सुनहरे क्षण एक क्षण में गुजर गये
पता ही नही चला कहाँ निकल गये
कहे जब तक उन क्षणों का हाल मन से
उससे पहले ही दगा दे चले गये
मिले लंबे इंतजार के बाद वो क्षण
पलक झपकते ही ओझल वो हो गये
इच्छा कब पूरी हुई पता ही न चला
मीठे क्षण कब खिसके निकल गये
कुछ क्षण आकर केक्ट्स की मानिंद
दिल बगिया पर शूल से चिपक गये
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ ^^^^^^^^^^^^^^शान्ति पुरोहित
सुनहरे क्षण एक क्षण में गुजर गये
पता ही नही चला कहाँ निकल गये
कहे जब तक उन क्षणों का हाल मन से
उससे पहले ही दगा दे चले गये
मिले लंबे इंतजार के बाद वो क्षण
पलक झपकते ही ओझल वो हो गये
इच्छा कब पूरी हुई पता ही न चला
मीठे क्षण कब खिसके निकल गये
कुछ क्षण आकर केक्ट्स की मानिंद
दिल बगिया पर शूल से चिपक गये
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