Tuesday 16 September 2014

मेरी कलम से .....

कविता 
सुनहरे क्षण एक क्षण में गुजर गये 
पता ही नही चला कहाँ निकल गये 

कहे जब तक उन क्षणों का हाल मन से 
उससे पहले ही दगा दे चले गये 

मिले लंबे इंतजार के बाद वो क्षण 
पलक झपकते ही ओझल वो हो गये 

इच्छा कब पूरी हुई पता ही न चला
मीठे क्षण कब खिसके निकल गये

कुछ क्षण आकर केक्ट्स की मानिंद
दिल बगिया पर शूल से चिपक गये
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^शान्ति पुरोहित

Monday 8 September 2014

बसंत ऋतु 
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कुदरत का तोहफा अनमोल है बसंत ऋतु
ऋतुओ का राजा धरा श्रंगार है बसंत ऋतु
नव कोंपल आगाज पतझर की हुई विदाई
वृक्ष सघन सुमन सौरभ समीरण बसंत ऋतु
2
मानव को प्रकृति का अद्भुत उपहार है,
भौरों की गुन-गुन में प्रेम की पुकार है,
सुरभित है धरा और जगत हुआ प्रमुदित
खिल हुई अली-कली ,अनुपम श्रृंगार है !
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शान्ति पुरोहित

Saturday 6 September 2014

सख्त कानून की आवश्यकता

सख्त कानून की आवश्यकता

वर्तमान परिपेक्ष्य में हमारे देश में महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के साथ एक और समस्या मुहं बायें खड़ी है। और वो है महिलाओ के साथ होने वाले बलात्कार । वेदकाल में नारी को सम्मान की दृष्टी से देखा जाता था । वहीं मध्यकाल में नारी की स्थति में गिरावट आते- आते वो मात्र भोग्या बन पुरुषो के मन बहलाव का साधन बन कर रह गयी । वर्तमान में नारी की स्थति असमंजस के दौर से गुजर रही है । पुरुषो से बराबरी करने के चक्कर में नारी को शिक्षित होकर घर से बाहर निकलना पड़ा। जिसके दो मुख्य दुष्परिणाम आये । एक- नारी को घर और काम दोहरी जिम्मेदारी से दो- दो हाथ करने पड़े । और दूसरा वो पुरुष कार्मिको की कुदृष्टि का शिकार बनना पड़ा। वर्तमान में महिला सुरक्षा का कोई सख्त कानून नहीं है ।आज देश के कोने – कोने में महिलाओ का अपहरण, बलात्कार और फिर सुबूत मिटाने के लिए हत्या कर दी जाती है ।माता – पिता अपनी बेटियों को शहर से दूर दुसरे शहर पढने जाने दे नहीं सकते है । जिससे काबिलियत होने पर भी लडकियाँ अपनी इच्छित शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाती है । वर्तमान में दरिंदगी इस कद्र व्याप्त हो गयी है कि चार वर्ष की मासूम बच्ची को भी दरिन्दे बेरहमी से नोच देते है ।इसी कारण आज किसी भी घर में बेटी होते ही उसकी सुरक्षा की फ़िक्र माता – पिता को घेर लेती है । देश में हुए दामिनी रेप काण्ड के बाद जिस तरह बलात्कार की संख्या में वृद्धि हुई है बहुत ही चिंताजनक् है ।सर्वविदित ही है कि उत्तरप्रदेश के बंदायू में दो मासूम नाबालिग लडकियों को बलात्कार के बाद पेड़ से लटका दिया था । जो दरिंदगी की हद ही है । आवश्यकता है देश में महिला की सुरक्षा के लिए सख्त – से सख्त कानून बने जिससे दोषी को फांसी से कम सजा ना मिले ।
शान्ति पुरोहित बीकानेर राजस्थान पोस्ट नोखा बीकानेर

Wednesday 3 September 2014

रोटी की ताकत

रोटी की ताकत
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सूने खंडहर से घर में 
टूटी खटिया पर लेटी 


एक जीर्ण शीर्ण काया रमिया 
घर के कोने कोने को देखती है 


हसरत से आश्रय स्थल निहार
भूख खड़ी मंद मंद मुस्कराती 

खाली कनस्तर मुहँ चिडाता सा 
दाल भात का एक दाना भी नही


महाजन भी महंगाई के आगे मजबूर 
राशन का दिन ब दिन आसमान छूता दाम 


कृशकाय रमिया की पकड़ से कोसो दूर 
रमिया को इंतजार है तो बस मौत का
****************************************************शान्ति पुरोहित 



Tuesday 2 September 2014

प्रेम विजय/ खुद को मिटाकर / सदैव हुआ प्रेम निहित / लेन देन मानस/ स्वार्थ ही हुआ प्रीत सिंचित / ह्रदय सरलता / कोमल भाव दिल को हार / अमर अनुराग / जग में हुआ *************************शान्ति पुरोहित
दोहा मुक्तक
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हुई बावरी प्यार में,पाया मन का मीत
हार गयी दिल प्रीत में, फिर भी पाई जीत
अंतस पीड़ा का मर्म, जान सका न कोई
प्रेम बावरी मीरा,कृष्ण लिया है जीत
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शान्ति पुरोहित

Monday 1 September 2014

मुक्तक

जीने की जब भी चाह होती है 
और मुश्किल अथाह होती है
जीत जाते हैं हालात भी गम से 
कोई तो कहीं और राह होती है