Sunday 8 June 2014

( उसकी मुस्कुराहट )

चित्र प्रतियोगिता  (मुस्कराहट के लिए )

( उसकी मुस्कुराहट )

 आज मीरा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं | उसके पति ने उसकी लिखी सभी कहानिया ,आलेख और कविताओ की दो बुक बनवाने की हाँ भरी थी | मीरा की शादी को आज तीस वर्ष होने को आये है | घर परिवार की लगभग सब जिम्मेदारी से अब निवृत हो गयी | ज्यादा कुछ नहीं बस एक बेटा है जो पढ़ लिख कर विदेश में सेटल हो गया है | सास- ससुर और पति इन सबकी देख-भाल करने के बाद भी मीरा के पास थोडा वक्त बच जाता है | जिसका उपयोग वो अपने लेखन कार्य के लिए करती है |
                जब कॉलेज में थी तब से मीरा की रूचि साहित्य में थी| उसकी कविता और कहानी स्थानीय पत्र-पत्रिकाओ में छपने लगी थी | वो बड़ी साहित्यकार बनना चाहती थी | पर उसके पति को जो खुद पेशे से डॉ था को मीरा के लेखन कार्य से आपति थी | उनका कहना था कि कितना कम वक्त हमे हमारे लिए निकाल पाते है फिर उसमे भी अगर तुम लेखन कार्य में व्यस्त रहोगी तो हमारा साथ रह कर भी साथ नहीं रहने जैसा ही होगा | और फिर माँ भी गम्भीर बीमारी के कारण असहाय सी ही है | उसी दिन से मीरा ने अपनी लेखन रूचि को अपने मन के किसी कोने में बंद करके रख दिया |  उसी दिन से उसके चेहरे की मुस्कराहट जैसे कहीं खो सी गयी | आज तो मीरा के पति ने घर के कामो में मदद के लिए एक नौकर चौबीसो घंटे के लिए रख लिया है मीरा अब दुगुने जोश से अपनी किताब छपवाने की तैयारी में लग गयी है मीरा की खोई हुई मुस्कराहट जैसे वापस जीवंत हो कर उसके चेहरे पर खिलखिला रही है

शांति पुरोहित   

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