Monday 9 June 2014

तंगी

तंगी
कमला ने अपनी पडौसन सीता से पूछा '' तुम एक कमाने वाली और इतने जन खाने वाले है कम आय में कैसे चला लेती हो | घर में किसी चीज की कमी नहीं है |, '' और क्या करती हूँ बनिये से राशन उधार ले आती हूँ ; जब तक वो देता है काम चल जाता है | और नहीं देता है तो कुछ रूपये दे देती हूँ तो फिर देने लगता है |, सीता ने कहा |
    ' तुम भी तो घर में एक ही कमाने वाली हो,पति तो तेरा दारु पीकर पड़ा रहता है | उसे दारू के पैसे भी तुम ही को देने होते है | फिर कैसे होता है ये सब तुमसे ? सीता ने उत्सुकतावश पूछा |
              '' पैसो की तंगी तो रहती ही है पर में थोडा टाइम निकाल कर साहब लोगो के घर चौका बर्तन करती हूँ | मेम साहब कुछ दे देती है 

Sunday 8 June 2014

मुहीम

दहेज नाम से ही उसे नफरत हो गयी | बहन की शादी में सबसे बड़ा रोड़ा था दहेज | उसने दहेज के विरुद्ध बहुत बड़ी मुहिम छेड़ने का मन बनाया था | इसके लिए एक टीम भी बनाई | पर उसे उस समय बड़ा झटका लगा जब उसकी टीम में से अधिकाँश लडको ने दहेज लेकर विवाह किया | 
       बहन की बारात बिना दुल्हन लिए लौट गयी | उसी मंडप में एक भला मानुष भी आया हुआ था | उसके साथ बहन का पाणीग्रहण संस्कार सम्पन हुआ | वही सज्जन दहेज विरोधी उसकी मुहिम का मुखिया घोषित हुआ |

नारी जीवन

                                  नारी जीवन
‘’यत्र नार्यस्तु पूज्यते,ते तत्र देवता ‘’ इससे समझा जा सकता है कि वैदिक काल में नारी को सम्मान की द्रष्टि से देखा जाता था| उसे सम्पूर्ण अधिकार प्राप्त था| जैसे --वेदाध्ययन,शास्त्रार्थ करना, पति के साथ युद्ध भूमि में लड़ने जाना आदि आदि| 
              कुछ विदुषिया जैसे-- मैत्रेयी,गार्गी आदि उदाहरण है जिन्होंने स्वयं अपनी प्रबुधता और आत्मबल से अपनी अलग पहचान बनायी, समाज की नारियो को नई दिशा दी| मध्य काल में आते आते नारी की दशा में आमूल परिवर्तन हुआ| और आज तो नारी की जो हालत है वो सर्वविदित है | पांच वर्ष की बच्ची हो या 70 वर्ष की औरत कोई भी सुरक्षित नहीं है | हर रोज देश के हर भाग में नारी के साथ अत्याचार होते है | कानून भी कोई ऐसा नहीं बना कि औरत के साथ अत्याचार करने वाले दरिन्दे को सख्त से सख्त सजा मिल सके | बीसवी सदी में औरतो की ये हालत है जैसे वो जंगल राज में रहती है | लडकियों को पढने के लिए कहीं बाहर भेजते हुए माता- पिता की रूह काँप जाती है | अपनी बेटी के साथ कुछ अनहोनी ना हो इसलिए अधिंकांश माता- पिता तो टेलेंट होते हुए भी अपनी बेटियों को पढने बाहर नहीं भेजते है | सरकार को प्रभावी कानून बनाना चाहिए जिससे देश में औरत भी खुली हवा में संस ले सके |

( उसकी मुस्कुराहट )

चित्र प्रतियोगिता  (मुस्कराहट के लिए )

( उसकी मुस्कुराहट )

 आज मीरा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं | उसके पति ने उसकी लिखी सभी कहानिया ,आलेख और कविताओ की दो बुक बनवाने की हाँ भरी थी | मीरा की शादी को आज तीस वर्ष होने को आये है | घर परिवार की लगभग सब जिम्मेदारी से अब निवृत हो गयी | ज्यादा कुछ नहीं बस एक बेटा है जो पढ़ लिख कर विदेश में सेटल हो गया है | सास- ससुर और पति इन सबकी देख-भाल करने के बाद भी मीरा के पास थोडा वक्त बच जाता है | जिसका उपयोग वो अपने लेखन कार्य के लिए करती है |
                जब कॉलेज में थी तब से मीरा की रूचि साहित्य में थी| उसकी कविता और कहानी स्थानीय पत्र-पत्रिकाओ में छपने लगी थी | वो बड़ी साहित्यकार बनना चाहती थी | पर उसके पति को जो खुद पेशे से डॉ था को मीरा के लेखन कार्य से आपति थी | उनका कहना था कि कितना कम वक्त हमे हमारे लिए निकाल पाते है फिर उसमे भी अगर तुम लेखन कार्य में व्यस्त रहोगी तो हमारा साथ रह कर भी साथ नहीं रहने जैसा ही होगा | और फिर माँ भी गम्भीर बीमारी के कारण असहाय सी ही है | उसी दिन से मीरा ने अपनी लेखन रूचि को अपने मन के किसी कोने में बंद करके रख दिया |  उसी दिन से उसके चेहरे की मुस्कराहट जैसे कहीं खो सी गयी | आज तो मीरा के पति ने घर के कामो में मदद के लिए एक नौकर चौबीसो घंटे के लिए रख लिया है मीरा अब दुगुने जोश से अपनी किताब छपवाने की तैयारी में लग गयी है मीरा की खोई हुई मुस्कराहट जैसे वापस जीवंत हो कर उसके चेहरे पर खिलखिला रही है

शांति पुरोहित   
जल के बिना 
सृष्टि निर्वाह नहीं 
सदुपयोग 
है ये अमूल्य निधि 
धरती का अमृत 
2
नदी का नीर 
अवनि धरोहर 
सुरक्षित हो 
जल ही प्राणाधार 
प्रदूषित ना करो
शांति पुरोहित

नियति नटी
मानव को नचाये
चाहे ना चाहे
बहु रंग दिखाए
कोई समझ ना पाए

गाय हमारी 
संरक्षक सदैव 
काटो ना इसे 
धरोहर धरा की 
है आर्थिक संबल
तांका

जल के बिना 
सृष्टि निर्वाह नहीं 
सदुपयोग 
है ये अमूल्य निधि 
धरती का अमृत 
2
नदी का नीर 
अवनि धरोहर 
सुरक्षित हो 
जल ही प्राणाधार 
प्रदूषित ना करो

Saturday 7 June 2014

मुक्तक समारोह ..... विषय धुँआ
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अहम पर चोट होती चंडी बन स्वभिमान बचाती
जीवन हो जाये धुँआ आत्मसात कर लेती
आत्म वेदना, दर्द की ज्वाला है नारी जीवन
सहती अनेको दर्द सदा कभी उफ्फ तक ना करती
शान्ति पुरोहित

Thursday 5 June 2014

शिक्षा मंत्री की शिक्षा पर बहस हो या देश मे शिक्षा के स्तर पर

शिक्षा मंत्री की शिक्षा पर बहस हो या देश मे शिक्षा के स्तर पर

मेरे ख्याल से देश में शिक्षा और शिक्षा मंत्री दोनों पर बहस होनी चाहिए | इसके ये मायने है कि शिक्षा मंत्रालय जिस मंत्री के पास हो वो शिक्षित होगा तभी तो शिक्षा के क्षेत्र में तरक्की के मार्ग को नए आयाम देकर देश के विकास में अपनी भागीदारी निभाएगा | आज देश में बहुत से ऐसे संस्थान हो गये है जो पैसो के लिए M .B .A .कराते है शिक्षा की गुणवत्ता से उनको कुछ लेना देना नहीं है उनका एक ही मकसद रहता है येन केन प्रकारेंण अर्थ उपार्जन करना | ऐसे संस्थानों को बंद कर शिक्षा की गुणवत्ता के लिए ध्यान देने की जरुरत है 
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