Friday 21 February 2014

नसीब ........

रीना और मनीष रोज कैंटीन मे मिलते थे|
रोज ही कॉलेज की कैटीन मे साथ खाना खाते थे| एक दिन रीना ने पूछा ''हम रोज क्यों मिलते है ?
क्यों रोज खाना साथ खाते है? क्या ये जरुरी है ? क्या हमे हमारे प्यार पर भरोसा नहीं है?,
  ''ऐसा नहीं है रीना , ''हम मिलते है सिर्फ इसलिए कि हम एक दुसरे के वास्तविक व्यवहार को जान सके| मनीष ने समझाते हुए कहा|
 ''ऐसी नजर इस समय तो किसी के पास नहीं है कि कोई किसी को इतनी अच्छी तरह से पहचान ले|,
रीना ने कहा| '' हाँ,तुम सही कह रही हो पर काफी हद तक एक-दुसरे को जान सकते है|,मनीष ने कहा|
  रीना और मनीष एक ही कॉलेज मे अध्यन कर रहे थे| दोनों की पहली मुलाकात बड़ी दिलचस्प थी|
      उस दिन रीना कॉलेज 'बस' से नहीं अपने स्कूटर से आ रही थी रास्ते मे स्कूटर खराब हो गया| वो सडक पर खड़ी आने-जाने वालो से लिफ्ट मांग रही थी| सबको अपने-अपने गन्तव्य तक जाने की जल्दी थी|कोई भी उसको लिफ्ट नहीं दे रहा था|वो परेशान सी सडक के एक और खड़ी हो गयी  ''आइये प्लीज, मनीष ने अपनी गाड़ी रोक कर कहा|,
     मनीष ने उसे लिफ्ट भी दी और अपने मैकेनिक को फोन करके स्कूटर ले जाकर ठीक करने को भी बोला|
   उसी दिन से रीना उसके प्रति आकर्षित हो गयी| अब तो रोज का ही मिलने का सिलसिला चालू हो गया|
रीना का मन अब मनीष के इर्द -गिर्द ही रहता दोनों का सब्जेक्ट अलग था पर कैंटीन तो एक ही थी|
रीना अपनी पढाई संबंधी हर समस्या के हल के लिए मनीष के पास जाने लगी|
                              धीरे-धीरे रीना और मनीष मे गहरा प्रेम हो गया| दोनों एक दुसरे के साथ शादी करना चाहते थे| दोनों के घर वालो को भी इनके बीच हुए प्रेम की भनक लग चुकी थी| मनीष लड़का था उसने माता-पिता को जैसे-तैसे राजी कर लिया पर रीना के माता-पिता अपनी बेटी की शादी दूसरी जाति वाले लडके के साथ नहीं करना चाहते थे|
            रीना हिंदी मे ऍम.ए. कर रही हैऔर मनीष अंग्रेजी मे ऍम.ए. कर रहा था| दोनों ने कॉलेज टॉप किया|
फिर दोनों ने ''सिविल सर्विस'' की परीक्षा दी| दोनों ने उस परीक्षा को भी पास कर लिया था|
   ''अब हमे शादी कर लेनी चाहिए, रीना ने मनीष से कहा|
मनीष ने कुछ सोचते हुए कहा ''तुम्हारे घर वाले क्या मान जायेगे इस शादी के लिए?,
             रीना ने कहा '' हमने तय किया था कि हम सक्षम होते ही शादी के बंधन मे बंध जायेगे| हमने ये भी तय किया था कि हम किसी की भी दखलंदाजी सहन नहीं करेंगे| परिवार,समाज ना जाति-धर्म हम अपने निर्णय स्वयं करेंगे|, मनीष ने हामी भरी ''ठीक है हम अपने ''सिविल सर्विस परीक्षा''के साक्षात्कार के बाद शादी करेंगे|
              आज रीना और मनीष के जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी का दिन था| दोनों के साक्षात्कार का परिणाम उनके पक्ष मे आ गया था| अब वे दोनों अच्छी जॉब लग गये और कुछ ही दिनों बाद उनकी शादी एक सादे समारोह मे रीना और मनीष के माता-पिता के आशीर्वाद के साथ हो गयी | रीना के माता-पिता ने बेटी का भला हाँ करने मे ही समझा|बेटी की जिद के आगे उनको ये सब करना पडा |दोनों ने अपने जीवन की शुरुआत प्यार और आशीर्वाद के साथ की| आज वे दोनों एक दुसरे के साथ बहुत खुश है| वे दोनों सच मे एक दूजे के लिए ही बने थे|नसीब मे एक दूजे के प्यार के साथ जीना लिखा था वरना ....प्यार तो बहुत करते है पर सबको प्यार मिलता कहाँ है |
                              शांति पुरोहित 

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