Tuesday 24 December 2013

सबक

                      सबक                                                                               नीरा के दिन की शुरुआत ही रजत के मैसेज से होती थी | ढेरों मैसेज और मिस्ड काल नीरा के मोबाइल मे आये हुए रहते थे | पर आज नीरा ने उठने के साथ मोबाइल चेक किया तो एक भी मैसेज या मिस्ड काल नहीं था ! नीरा का माथा ठनका ! खुद को संभाल कर ,बुरे ख्याल जो दिल मे आरहे थे ,उनको एक झटके के साथ दिमाग से निकाला और रजत को फोन लगाया | कई बार फोन करने पर भी रजत का फोन ना उठाना, शक यकीन मे बदलने लगा | दिल जैसे गहरे कुँए मे डूबने लगा ,डर गयी नीरा ,तभी इस बार रजत ने फोन उठाया तो सही, पर बर्फ सी ठंडी आवाज मे बोला ‘’नीरा मुझे आज बिलकुल टाइम नहीं है,नहीं मिल सकता तुमसे|,हाँ ,मेरे दोस्तों के साथ मेरी शर्त लगी थी तुम्हे अपने प्यार के जाल मे फंसाना,और !देखो मै शर्त जीत गया| ,इतना बोलकर झट से फोन कट कर दिया |
               नीरा रजत के मुहँ से ये सब सुनकर सन्न रह गयी | वो रजत से प्यार करने लगी थी |नीरा सोच रही है| आज मेरा पहला प्यार टूट गया,रिश्ता जो मेरे और रजत के बीच था,आज वो पूरी तरह से टूट गया है | सुना था पहला प्यार टूटता है |पर ये सब लोगो द्वारा बनाई धारणा है| अगर पहला प्यार टूट जाता हैतो कोई क्यों दूसरा प्यार करेगा? प्यार होता तो टूटता ही नहीं| टूटता है तो मैंने क्यों किया ? और फिर सबका कोई न कोई पहला प्यार तो रहता ही है|
                    मैंने B.TEC. करने के लिए देहली युनिवर्सिटी मे एडमिशन लिया और पहले ही दिन से लग गयी अपने लक्ष्य का पीछा करने| पर मैंने देखा कॉलेज मे कोई बहुत कम विद्यार्थी ही थे ,जो पढने मे रूचि लेते थे |बाकी सब तो टाइम पास करने आते थे केन्टीन मे बैठ कर चाय के साथ देश मे  घटित ताजा घटनाओ पर चर्चा करते थे| जब विद्यार्थी क्लास में नहीं आते तो लेक्चरार भी कोलेज मे कम ही आते थे |
                      पहले साल तो मैने कालेज मे किसी से दोस्ती नही की,पर दुसरे साल के आरंभ मे  जूही ने दोस्ती का हाथ बढाया,तो मै मना नहीं कर सकी| जूही के साथ अक्सर मुलाकात हो जाती थी | रजत जूही का दोस्त था,एक दिन जूही और मै पुस्तकालय में बैठे थे | तभी रजत आया ‘’हेल्लो नीरा,’हेल्लो,मैंने कहा| ‘’मै रजत,मेरा थर्ड इयर चल रहा है|, रजत ने कहा |उस दिन के बाद रजत के साथ मेरा मिलना-झुलना बढ़ता गया | रजत से मै, प्यार करने लगी,धीरे-धीरे मै उसके प्यार में पागल हो गयी, उससे शादी करना चाहती थी| ‘रजत अब शादी के लिए ने माता-पिता को बोलो, अब मै अपने रिश्ते को नाम देना चाहती हूँ|,मैंने कई बार रजत को कहा|
                     रजत मेरे इस प्रस्ताव को कोई अच्छा सा बहाना बना कर टाल देता था| इसी दौरान मेरा बी.टेक.पूरा हो गया,रजत पिछले दो साल से मेरे साथ घूमना-फिरना,होटल में जाना शौपिंग आदि करता रहा| मुझे उसने पूरा भरोसा दिलाया अपने साथ शादी करने का, मैंने कभी एक पल के लिए भी नहीं सोचा,रजत मुझे इस तरह धोखा देगा| उसने केवल शर्त जितने के लिए मेरे दिल के साथ खेल खेला | मैंने भी रोना-धोना छोड़ कर उसे सबक सिखाना चाहा| उसी दिन मै ‘’राज्य महिला आयोग’’के ऑफिस जाकर रजत के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई|’’महिला आयोग’’ की सदस्य उषा शर्मा,पुलिस को लेकर रजत के घर पहुँच गयी| रजत को गिरफ्तार किया |मै उसे गिरफ्तार होकर जाते देखती रही| उसके चेहरे पर अपने किये का पछतावा था| कहीं-न-कहीं उसने सोचा होगा कि लडकिया अबला,कमजोर होती है मेरा कुछ नही बिगाड़ सकती है|पर उसने नारी शक्ति को पहचानने में भूल करी है|

शांति पुरोहित 

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