Saturday 22 June 2013

      फिर नई सुबह हुई                                                                                                                                                                                ''घर का सारा सामान इधर-उधर बिखरा हुआ,पलंग पर गीला तौलिया,कंघा,स्लीपर,उतारे हुए कपडे ,जुराब सब बेतरतीब है | जब बच्चे तैयार हो कर स्कूल जाते है,तो पद्मा का घर,घर नहीं कबाड़ी खाना बन जाता है | ये रोज का ही काम है | नितिन को तो 'बस , तक छोड़ने भी जाना पड़ता है | कुछ दिन पहले तक तो बाबूजी ही छोड़ने जाया करते थे | पर जब से उनको पैर मे चोट लगी है,वो आराम करते है |डर से गये है,कि ज्यादा कुछ तकलीफ हुई तो बुढापे मे चलने -फिरने लायक भी नहीं रह पाउँगा | पद्मा एक कप कॉफ़ी पीकर घर मे बिखरी चीजो को समेटने लगती है |
                         चार बेटे,बेटी एक भी नहीं है | होती तो कुछ तो पद्मा को काम मे सहारा मिलता ,बेटे तो कुछ काम नहीं करते | सबसे बड़ा बेटा,राकेश अभी पंद्रह साल का है | दिनेश,राजेश और नितिन बहुत छोटे है | पद्मा को सबका बराबर ध्यान रखना पड़ता है |
                        विमल सरकारी नौकरी मे है| उनको ऑफिस का बहुत काम रहता है,वो तो घर मे भी काम लाते है | पद्मा को विमल कुछ भी मदद नहीं कर सकता है | विमल-अपने माता-पिता की एक ही संतान है | उनके माता-पिता इनके  साथ ही रहते है | विमल के पापा,भारतीय-सेना मे कार्यरत थे | कुछ साल ही हुए है, रिटायर हुए है | मम्मी भी रिटायर्ड टीचर है | अब वो, घर मे ही बच्चो को टयुसन पढ़ाती है | घर चलाने मे बहुत मदद हो जाती है | पद्मा पढ़ी- लिखी है, पर बाहर जाकर काम नहीं कर सकती,घर की सारी जिम्मेदारी उसे ही उठानी जो पड़ती है |
                       इतने लोगो का काम पद्मा अकेले करती है | सुबह उठने के साथ काम मे लगना,आधी-रात तक खपना | पद्मा अकेली ये सब करके अब थक गयी थी | कहीं से भी कोई सहारा नहीं मिलने वाला था | औरत को तो ये सब करना ही पड़ता है,उसके पास कोई विकल्प भी नहीं रहता है | घर के सारे सदस्यो की देख-भाल करते- करते पद्मा की तो कमर टूट जाती है |
                       ''पद्मा मेरी चाय आने मे और कितनी देर है |'पापा ने कहा| सुबह छ बजे ही पापा को चाय देनी होती है |' 'मम्मी तो चाय के साथ नाश्ता, भी लेती है,बाद मे पढने वाले बच्चे आ जाते है ,तो उनको फिर टाइम नहीं रहता है | 'विमल को भी दस बजे ऑफिस निकलना होता है | उनको लंच बॉक्स देकर ,फिर कुछ देर आराम करके सब का खाना बनाना,खिलाना और फिर रात के खाने की चिंता | यही रूटीन बरसो से चला आ रहा था | इन सब मे विमल के लिए तो वक़्त ही नहीं निकाल पाती पद्मा | कई बार विमल नाराज भी हुआ पर वो क्या करे |
                          ''एक बार तो विमल, ने जिद ही पकड ली कि मेरे साथ मेरे दोस्त के घर, उनकी शादी की सालगिरह की पार्टी मे तुम्हे चलना ही है | ''मेरा दिल जानता है, कैसे उनको मनाया कि मै ,
इतना काम छोड़ करके उनके साथ नहीं चल सकती |
                            समय भागता रहा, अब बच्चे बड़े हो गये | राकेश,इंजिनियर बन गया | दिनेश बैंक मे नौकरी लग गया | दोनों छोटे बेटे बी.एससी. कर रहे थे | ''आप राकेश  और दिनेश के रिश्ते के लिए कहीं बात कीजिये ना |' पद्मा ने विमल से कहा | विमल ने सोचा ठीक ही कह रही है | बहु के आने से पद्मा को काफी मदद मिलेगी |
                रिश्ते देखने का काम चालू हुआ | कभी विमल और पद्मा लड़की देखने जाते,कभी लड़की वाले इनके घर आते | आखिरकार दोनों का रिश्ता तय हुआ | दो महीने बाद शादी हो गयी | दो-दो बहुओ के आने से घर मे बहुत रौनक आ गयी | पद्मा का दोनों बहुओ ने खूब ख्याल रखा | अब पद्मा को काम से छुटी मिली,विमल के साथ बिताने के लिए टाइम मिला |
                        दिन,महीने, साल बीतते रहे | पद्मा और विमल दो प्यारे -प्यारे बच्चो के दादा-दादी बन गये | विमल भी रिटायर हो गये | अब पद्मा सुख-चैन से अपने परिवार के साथ जिन्दगी बसर कर रही थी | ''एक काम और करना है | अब राजेश और नितिन का भी रिश्ता करना है |'पद्मा ने चाय का कप हाथ मे लेते हुए विमल से कहा | ''तुम्हारी इस इच्छा का मुझे पहले से ही आभास हो गया था | मैंने मिस्टर शर्मा की दोनों लडकियों के लिए शर्मा से बात भी कर ली है ,वे अगले सप्ताह ही रिश्ता पक्का करने आ रहे है |' विमल ने चुटकी लेते हुए कहा |
                       सब कुछ ठीक से हो गया | राजेश और नितिन की शादी मे पद्मा और विमल खूब नाचे | खूब खुशियाँ मनायी | घर मे नई बहुओ के आ जाने से और भी चहल-पहल हो गयी | कुछ समय बाद ही सबसे छोटी बहु नीरू ने घर मे सबसे बात- बात मे झगड़ना शुरू कर दिया | सबसे छोटी होने के कारण पहले तो किसी ने उसकी बातो की तरफ ध्यान ही नहीं दिया | पर वो तो इसे अपनी जीत, और घर वालो को डरा हुआ समजने लगी |पूरा माहौल घर का बिगाड़ कर रख दिया उसने |
                        अब तो घर के लोगो का जीना दुश्वार होने लगा | ये सब देख कर पद्मा और विमल ने कुछ तय किया | सबको अलग रहने को बोल दिया और नितिन और नीरू को अपने पास ही रहने दिया | सब अपने परिवार को लेकर चले गये | अब तो नीरू को समस्या हुई कि अब किसके साथ झगड़ा करे | सास ससुर के साथ तो कर नहीं सकती | समय भागने लगा | एक साल मे ही नीरू को सब की कमी खलने लगी | सास-ससुर भी सब के बिना उदास रहते थे | नितिन भाई को बहुत याद करता था ,और नीरू को उनके जाने का कारण समझता था | बहुत बार इस बात के लिए पत्नी से उसने शिकायत की |
                          आखिरकार नीरू ने पद्मा से कहा ''मम्मी जी सबको वापस बुलालो अब मै उन सब के बिना आपको,पापा को और नितिन को उदास रहते हुए नहीं देख सकती |' नीरू ने सास से माफ़ी मांगते हुए कहा | पद्मा ने कहा ''तुम फिर से सबके साथ ...... ?' ''नहीं, मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है |' पद्मा और विमल ने नीरू से कहा '' अभी एक फोन करते ही सब आ जायेंगे | हमने तुम्हे सबक सिखाने के लिए ही तुम्हे उन सबसे अलग रखा | तुम्हे परिवार के साथ रहने की समझ आ सके इसीलिए हम सबने मिलकर ये प्लान बनाया और देखो,तुमे समझ में भी आ गया | अब पद्मा के घर फिर पहले जैसी खुशियां अठखेलिया करने लगी थी | ''सब साथ मिलकर रहने मे जो खुशियां मिलती है,वो अकेले रहकर नहीं मेहसूस की जा सकती है |' पद्मा ने सबके आ जाने पर ये कहा | तो सबके साथ नीरू की आँखे भी गीली थी | पद्मा ने अपने सब बच्चो को गले से लगा लिया | एक नई सुबह के इंतजार मे सब रात भर खुशियां मनाते रहे |
शांति पुरोहित
                       
                             

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