Saturday 1 June 2013

मायाजाल
रीटा के पापा मिस्टर आर. माथुर बैंक मे मैनेजर है;लेकिन अभी तक अपना खुद का घर नहीं बना सके थे हर दो साल बाद उनका तबादला किसी दुसरे शहर मे  हो जाता था तो कैसे ! और कहाँ घर बनाये ! हाँ,गाँव मे उनका पुश्तैनी  घर था,पर उस घर को तो उन्होंने बचपन मे अपनी पढाई के कारण छोड़ दिया था उनको गाँव छोड़े बहुत साल हो गये थे मिस्टर आर.माथुर के माता-पिता इसी आशा मे बैठे थे, कि एक दिन उनका बेटा पढ़-लिख कर आएगा और गाँव की भलाई के लिए काम करेगा ;पर उनका ये सपना उस वक्त टूट कर बिखर गया जब बेटे ने कहा 'मेरी कानपूर की स्टेट बैंक मे नौकरी लगी है; और मै, आपको लेने के लिए आया हूँ |
बड़ा घर लिया है हम सब आराम से रहेंगेउन्होंने इंकार कर दिया ''इस उम्र मे गाँव छोड़ कर हम कहीं नहीं जायेगे,बहुत समझाया कि इस उम्र मे अकेले कैसे रहोगेपर वो माने नहींदो साल बाद आर.माथुर ने माधवी से एक सादे समारोह मे माता-पिता की उपस्तिथि मे शादी कर ली |
माधवी बहुत समझदार थी, उसने आते ही अपने सास -ससुर को अपने पास रहने के लिए राजी कर लिया  समय बीतता रहा ,माधवी ने एक सुंदर सी लड़की रीटा को जन्म दिया | समय बीतता रहा | बेटी रीटा अब थोड़ी बड़ी  हो गयी | घर मे वो सिर्फ माँ को ही देखती थी ,क्योंकि मिस्टर आर.माथुर तो जल्दी ही बैंक निकल जाते थे | रीटा पापा को बहुत मिस करती, पर पापा तो छुटी के दिन के आलावा कभी उसके साथ नहीं रहते थे | पूरा दिन अपने काम मे व्यस्त रहते रहते थे | देखा गया है कि बेटी को पापा से ज्यादा लगाव रहता है | रीटा भी पापा के साथ रहना चाहती थी,उनके साथ खेलना और बाहर घ्हुमना चाहती थी |
दिन महीने साल बीतते गये | ''पापा हमारा घर कब बनेगा'' पूछा रीटा ने माधवी भी तो अब यही चाहती थी की रीटा अब बड़ी हो गयी है कुछ समय बाद उसकी शादी भी करनी है तो अपना खुद का घर तो होना ही चाहिये ना अब मिस्टर आर.माथुर के सेवा निवृति मे भी सिर्फ दो साल का समय बचा था मिस्टर आर.माथुर ने बेटी को जवाब मे कुछ नहीं कहा और बैंक चले गये |
आज मिस्टर आर.माथुर ने,  राज प्रोपर्टी डीलर से अपने लिए एक फ़्लैट बुक करवाया बैंक का काम जल्दी से ख़त्म किया और घर पहुँच गये माधवी और रीटा को जल्दी से तैयार होने को बोल कर खुद फ्रेश होने वाशरूम चले गये |माधवी और रीटा को बहुत पसंद आया अपना नया घर और आखिर कुछ दिनों बाद रीटा और माधवी को अपना नया घर मिल गया था |
रीटा रोज पापा से घर मे इंटीरियर डेकोरेशन के लिए कहती थी पर मिस्टर आर.माथुर के घर के काम के लिए वक्त ही नहीं बचता ,बस घर से बैंक और बैंक से घर आने-जाने मे वक्त ख़त्म हो जाता था पर आज उन्होंने रीटा की ये शिकायत भी ख़त्म करने की ठानली और कृष्णा इंटीरियर डेकोरेटर के मालिक सिंह साब को फोन किया |उन्होंने शाम तक आदमी भेजने का बोला |
                          आज जब घर की डोर-बैल बजी तो दरवाजा रीटा ने खोला सामने एक बहुत ही आकर्षक लड़का खड़ा था |

रीटा मंत्र-मुग्ध होकर खड़ी उसे देखती ही रह गयी तभी वो लड़का बोला मेम,मेरा नाम पुष्कर है, मै, ''कृष्णा इंटीरियर डेकोरेटर कंपनी'' से आया हूँ ओहयस अंदर आइये,और रीटा पुष्कर को घर के अंदर ले गयी पुष्कर ने  थोड़ी देर घर को देखा और कहा 'एक दो दिन मे काम शुरू कर दूंगा, कह कर चला गया |
रात को खाना-खाने के वक्त मिस्टर आर.माथुर ने देखा आज पत्नी और बेटी दोनों काफी खुश लग रही है | ''क्या बात है आज इतनी खुश ख़ुशी का कोई कारण तो बताओ|' रीटा ने कहा ''एक दो दिन मे इंटीरियर का काम चालू हो रहा है; और अब जल्दी से घर के इनोग्रेशन की डेट भी तय करनी है और भी बहुत से काम करने है अब जल्दी से मेरे सारे दोस्तों को मेरा घर दिखाना है |
पुष्कर और रीटा दोनों ने साथ मिलकर इंटीरियर का काम किया तो दोनों मे नजदीकिया बढ़ गयी घर के आलावा वो दोनों बाहर होटल,पार्क और कॉफ़ी शॉप पर भी मिलने लगे थे आज जब वो दोनों काफी शॉप पर बैठे थे पुष्कर ने रीटा को शादी करने के लिए कहा,तो रीटा ने कहा ''पापा से बात करुँगी |'
मिस्टर आर.माथुर ने शादी के लिए इस लिए इंकार कर दिया क्योंकि पुष्कर दूसरी जाति का था लेकिन रीटा और पुष्कर को तो अब कोई भी बंधन शादी करने से रोक नहीं सकता था उन दोनों ने कौर्ट मे शादी करने का फैसला किया, और दो महीने बाद दोनों ने शादी कर ली जब मिस्टर आर.माथुर को बेटी की इस हरकत का पता चला तो खुद को ही इसके लिए जिम्मेदार समझा उन्होंने पत्नी से कहा ''मै थोडा समय अगर अपनी बेटी के लिए भी निकालता तो शायद ये ना होता रीटा मुझे बहुत मिस करती ,थी पर मैंने उसकी इस जरूरत की तरफ कभी ध्यान ही नहीं दिया काम के मायाजाल मे फंसा रहाऔर आज मुझे ये दिन देखना पड़ा क्या इज्ज़त रह जाएगी मेरी जब सब को पता चलेगा कि मेरी बेटी ने इस तरह से शादी करी है | माधवी और आर.माथुर दोनों ने ये माना है कि घर मे जवान लड़की थी;इंटीरियर के लिए आने वाला पुष्कर भी रीटा की हम उम्र था,तो हमे सजग रहना था | आज के ज़माने के लड़के-लड़की तो बहुत ही आधुनिक विचारो वाले होते है | आज की नयी पीढ़ी के बच्चे अपनी सोच-समझ को ही सही मानते है | माधवी ने कहा 'मै तो कहती हूँ ;हर माता-पिता को अपने जवान होते बच्चो पर नजर रखनी ही चाहिये,और अगर उन्हें कुछ लगे तो बच्चो का मन टटोल कर उनसे वो सब जानना चाहिये ,जो उनके दिमाग मे चल रहा हो;और माता पिता को पता भी नहीं है | तभी माता-पिता का अपने बच्चो के प्रति सही मायनो मे अपना फर्ज निभाना मानना चाहिये |,
मिस्टर माथुर कुछ महीनो बाद रीटा से मिलने उसकी ससुराल गये एक ही बेटी थी,तो उससे ज्यादा दिन तक  दूर नहीं रह सकते थे पर वहां देखा कि पुष्कर का घर बहुत छोटा था रहने वाले कुल पांच जन थे ये देख कर तो वो और भी दुखी हुए और तय किया कि रीटा को नया घर देंगे |जब रीटा और पुष्कर घर पापा-मम्मी से मिलने आये तो एक चाबी पुष्कर को दी कहा ''ये तुम्हारे और तम्हारे परिवार के लिए घर हैअब से इसमें आराम से रहो मेरे तो रीटा के आलावा और कोई संतान भी नहीं है तो मेरे रहते मेरी बेटी कैसे तखलीफ़ मे रह सकती है मिस्टर आर.माथुर भावुक हो गये और रीटा और उसकी माँ भी रोने लगी थी |
शांति पुरोहित

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