Sunday 2 June 2013

                        एक नई दिशा          

एक नई दिशा

सुश्री शांति पुरोहित की कहानी    एक नई दिशा    




                                                                                                                                                                                                                                      अचानक रात को ग्यारह बजे माँ के कराहने की आवाज आई ,मै तुरंत उनके कमरे मे गयी | वहां का द्रश्य देख कर मे घबरा गयी | ' माँ पसीने नहायी हुई और बेहोश होगयी थी | पडौस मे रहने वाले 'शर्मा अंकंल को बुलाने के लिए मै उनके घर गयी |दरवाजा खुलते ही मैंने कहा 'अंकल माँ को कुछ हुआ है,आप चलिए मेरे साथ उनको अस्पताल ले जाना है |' अस्पताल पहुँचते ही डॉ. ने उन्हें आई .सी .यू. मे एडमिट कर कर लिया |
                               माँ को दिल का दौरा पड़ा था | डॉ.के प्रयास और दवाइ के असर से माँ को सुबह तक थोडा आराम आया,तो मै घर चली गयी | घर मे मै और माँ दो ही जन थे | पापा का चार साल पहले देहांत तेज सुगर के कारण उनके ऑफिस मे ही हो गया था | रिटायर होने मे पांच साल और बाकी थे | अब उनकी जगह पर भाई को राज्य सरकार ने अनुकम्पा नौकरी दी है | हम इस शहर मे नए है,भाई ऑफिस टूर के लिए दस दिन के लिए उदयपुर गये हए थे | 
                             सुबह नर्स आयी इंजेक्शन  लगाने के लिए मुझे उठाया | 'आपके साथ मे कौन है, ये दवा मंगवानी है |' नर्स ने कहा | 'सिस्टर अभी कुछ ही देर मे मेरी बेटी आने वाली है |' दवाओ के असर से आँखे नींद से बोझिल थी,बस इतना कह कर मै वापस सो गयी | फिर दो घंटे बाद नर्स आयी,उसने सोचा, मै सो रही हूँ तो वापस चली गयी, मै तो ऐसे ही आँखे बंद करके लेटी हुई थी |
                            घर के जरुरी काम करके और मेरा खाना लेकर मेरी बेटी रश्मि आ गयी थी | उसने मुझे खाना खिलाया,फिर आराम से लिटा दिया | 'मैंने उसे मेरे बेटे राज को फोन करने से मना कर दिया, बेकार मे वो चिंता करता और अपना काम छोड़ कर यहाँ आ जाता | मुझे तो डॉ. ने दस दिन तक अस्पताल मे रहने को कह दिया था |' दोपहर को नर्स आयी, मुझे सुबह की दवाई देकर कहा 'आंटी जी अब कैसी तबियत है ?' मै कुछ नहीं बोली बस मुस्करा रही थी | मुझे मुस्कराता देख वो बोली 'क्या हुआ आंटी आप ठीक हो ना |' 'मुझे ऐसा क्यों लगता है जैसे मैंने तुम्हे कहीं देखा है |' मैंने उसे कहा | 'एक जैसे चेहरों से दुनिया भरी पड़ी है | तभी ओ.पी डी.मे से सिस्टर  मौली का नाम पुकारा जाने लगा और वो बात बीच मे छोड़ कर भागी | मै वापस सोने का उपक्रम करने लगी |
                            जब मेरी शादी हुई, पति सरकारी नौकरी में थे,मै ''टीचर ट्रेनिग'' कर रही थी | समय के कब पंख लग गये पता ही नहीं चला | मै दो बच्चो की माँ बन गयी ! राज और रश्मि स्कूल जाने लगे,तभी एक दिन पोस्ट मैन मेरा जोइनिंग लेटर लेकर आया | घर मे मेरी नौकरी लगने से सब खुश थे,बस मे खुश नहीं थी | बच्चो से दूर रहना पड़ेगा ये सोच कर ही मे घबराने लगी | मेरी पोस्टिंग राजस्थान के गाँव पांचू मे हुई,वहां मुझे अकेले ही रहना था ये सोच कर मै दुखी थी |
                             'मेरा दुःख ख़ुशी मे तब बदल गया, जब मेरे ससुर अपना सामान लेकर मेरे साथ चलने को तैयार खड़े थे | ' वहां स्कूल के ही पास हमने किराये का एक घर लिया,घर के काम के लिए एक बाई भी रखली |बाई अपनी बेटी को साथ लेकर आती थी | वो लड़की इतना चपर-चपर करती कि मेरे तो सर मे दर्द हो जाता था | एक बार मैंने मेरी बाई माया को कहा '' अपनी बेटी को स्कूल क्यों नहीं भेज देती,वहां जाएगी तो  कुछ पढना लिखना सीख जाएगी तो भविष्य मे इसके बहुत काम आएगा |' सुनकर पहले तो कुछ नहीं बोली फिर कहा 'कहाँ से पैसा लाऊ ,इसे पढ़ाने का ,दिन भर खटती हूँ ,तब पेट भरने जितना पैसा कमा पाती हूँ |'
                           'सरकारी स्कूल है, ज्यादा खर्चा नहीं होगा,फिर तुम फ़िक्र मत करो मै सारा खर्चा वहन करुँगी | अगले ही दिन से बाई की बेटी मौली स्कूल आने लगी | स्कूल मे मौली का मन पढने से ज्यादा बाते करने मे ज्यादा लगता था | गाँव मे किसके घर मे शादी है,किसके घर मे बच्चा आने वाला है वो सब जानकारी रखती थी | पौडर,क्रीम और काजल के बिना वो कभी स्कूल नहीं आती थी | 'तुम अपना सारा ध्यान इधर-उधर लगाती रहोगी तो पढ़ोगी कब |' मैंने उसे डांटते हुए कहा | मौली हाजिर जवाब तो थी,तुरंत कहा 'मैडम मै पढ़-लिख कर कॉलेज की लेक्चरार बनुगी ,आप देखना मै जरुर बनुगी |मै शादी करके बच्चो को नहीं पालूंगी |'
                           'मौली ने दसवी पास कर ली थी | मै आश्वस्त थी कि मौली ने जो कहा वो करके रहेगी इसी बीच मेरा ट्रांसफर हो गया,मै वो गाँव और मौली सब को भूल कर अपने काम मे व्यस्त हो गयी | समय बीतता रहा | शाम को जब सिस्टर आयी तो मैंने फिर वही सवाल दोहराया तो वो अपने को रोक नहीं सकी और रो पड़ी |, मैंने उसे कुछ देर रोने दिया | 'मैडम आपने मुझे अब तक नहीं पहचाना,मै तो आपको देखते ही पहचान गयी पर आपको बता कर दुखी नहीं करना चाहती थी |' 'क्या हुआ तुम कॉलेज लेक्चरार बनी नहीं,नर्स कैसे बन गयी |' मैंने उससे पूछा | ' हायर सेकंडरी पास करते ही माँ ने मेरी शादी मेरे से ज्यादा उम्र के आदमी के साथ करा दी | मैंने इसे अपनी किस्मत समझ कर स्वीकार कर लिया,पर मेरी किस्मत मे इससे भी ज्यादा बुरे दिन देखने लिखे थे | मेरे पति के एक पत्नी पहले से ही थी| बच्चा नहीं था इसलिए मुझसे बच्चा पाने के लिए दूसरी शादी की वो भी हमे धोखे मे रख कर |' इतना कह कर वो फिर रोने लगी ,अपने आपको सम्भाल कर फिर कहा 'ये सब मै बर्दाश्त नहीं कर सकी, अपने जीवन को एक नई दिशा देने के लिए मै वहां से वापस अपने घर आ गयी|
                             'पति को तलाक दे कर दीन- दुखियो की सेवा करने के लिए नर्स की ट्रेनिग कर के अस्पताल मे मरीजो की सेवा करना ही अब मेरे जीने का उद्देश्य बन गया है |और मै बहुत खुश हूँ | आज आप मिल गये मै बहुत खुश हूँ | इतना कहकर मौली चुप हो गयी और मेरी गोद मे सर रख कर सो गयी थोड़ी देर |
                               दस दिन तक अस्पताल मे मौली ने मेरी बहुत सेवा की | आज मुझे डिस्चार्ज मिलने वाला था | सुबह से मौली बहुत उदास दिख रही थी | घर जाने से पहले मैंने उसे अपने पास बिठा कर कहा 'तुम अब अकेली नहीं हो ,जब भी मन करे आ जाना |,तुम्हारा अपना घर है तुम आओगी तो मुझे अच्छा लगेगा |' हम दोनों के साथ सब लोगो की आँखो से आंसू बहने लगे |
             शांति पुरोहित
मेरी कहानी पढना और अपने अनमोल प्रतिभाव देना. " एक नई दिशा "

http://woman-man2.blogspot.in/

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