Sunday 9 June 2013

बृहस्पतिवार, 25 अप्रैल 2013


रिश्ता


आज सुबह -सुबह मुकेश भाई की पत्नी कृष्णा ने कहा ''अब तो मेरे बेटे अमित की शादी के लिये कोई रिश्ता देखो,अब तो वो पढ़ -लिख कर आपके काम मे आपको हाथ भी बटाने लगा है |
तभी मुकेश भाई ना कहा'अरे ! हाँ ''मै तो तुम्हे बताना ही भूल गया था कि अमित के लिये एक बहुत ही अच्छे घर से रिश्ता आया है ,|मुकेश भाई ने अपनी पत्नी कृष्णा को जानकारी देने के हिसाब से कहा कि'' कृष्णा मैंने तो ये पक्का कर लिया है कि अमित की शादी इसी घर की लड़की के साथ ही करूँगा |
                                                            मुकेश भाई को लगा कि मोहन भाई की लड़की के साथ अमित का रिश्ता कर देने से उनके घर की जो भी तखलीफ है वो दूर हो जायेगी,घर मे जिस चीज की भी कमी है वो भी दूर हो जाएगी |
                                                            क्योंकि मोहन भाई अपनी बेटी की शादी मे बहुत पैसे खर्च करने वाले है | तो मुकेश भाई ने तो मन -ही -मन मे ये तय कर लिया था कि अपने बेटे अमित की शादी इसी घर मे करेंगे |
                                                              ये सब उन्होंने अपनी पत्नी कृष्णा को नहीं बताया था |
                                                                                                                                             अब इसके लिये मुकेश भाई ने अपने बेटे अमित को भी कह दिया था कि लड़की दिखने मे चाहे कैसी भी हो,तुम्हे हां ही कहना है | अमित ने सोचा की पापा ऐसा क्यों कह रहे है | उसने सुन कर हाँ बोल दिया और पूछा कुछ नहीं | आज वो अपने मम्मी -पापा के साथ मोहन भाई के घर लड़की देखने आये है | एक आलीशान बैठक मे सब बैठ गये और इधर -उधर की बातो से बोल -चाल का का सिलसिला चालू किया लेकिन मुकेश भाई का ध्यान बातो से ज्यादा उनके आलीशान घर को देखने मे ही था | वो उनकी शानो -शौकत देख कर उसी घर मे अमित का रिश्ता करने के अपने इरादे को और भी मजबूत कर चुके थे |
                                                                  इतने मे ही लड़की की माँ किरण देवी अपनी बेटी प्रिया को लेकर बैठक मे आई | सब को नमस्ते बोल कर प्रिया सोफे पर अपनी माँ के पास बैठ गयी | अमित ने देखा की प्रिया सुन्दर,सोम्या तो थी साथ ही रहन -सहन मे पैसो की झलक स्पष्ट दिखाई दे रही थी उसके चेहरे का रौब देखते ही बनता था | अमित को लगा कि जैसे वो अपने आप को उसके सामने छोटा समझने लगा है | वो मन ही मन विचार करने लगा कि कैसे संभाल पायेगा वो प्रिया को जो इतने आराम से रही हुई है अपने घर मे |
                                             वैसे अमित भी कम नहीं था,देखने मे स्मार्ट था अच्छी कद -काठी का था,किसी भी लड़की को देखते ही पसंद आ जाये ऐसा वयक्तित्व था उसका और यहाँ भी ऐसा ही हुआ | प्रिया ने उसे पसंद कर लिया और इशारे से अपनी माँ को बता भी दिया फिर वो सब की इजाजत ले कर अपने कमरे मे चली गयी | पर अमित की माँ इस रिश्ते के खिलाफ थी | अमित की माँ कृष्णा ये मानती थी कि लड़की के पापा के पास बहुत पैसा है और वो अपनी बेटी की शादी मे खूब पैसा खर्च करेंगे | उनका छोटा सा घर तो उनके दिए सामान से जैसे भर ही जायेगा  | तब लड़की के पापा बेटी को नया घर लेकर दे देंगे तो मेरा अमित मुझसे दूर चला जायेगा तो वो मन ही मन सोच रही है की ये रिश्ता हो ही ना | पर मुकेश भाई ने भी कृष्णा को कह दिया था की तुम्हे कुछ नहीं कहना है | इधर इन सब बातो से अनजान
 अमित को कुछ भी पता नहीं था |
                                                 तभी मोहन भाई ने कहा ''दोनों बच्चो की कुंडली मिलवा लेते है सब ठीक रहा तो बात पक्की समझो | अब मुकेश भाई को चिंता हुई कि कुंडली नहीं मिली तो?.फिर भी उन्होंने मोहन भाई को कहा ''मै कल पंडित को लेकर आपके घर आता हूँ | और वो लोग मोहन भाई से विदा ले कर अपने घर आ गये |मुकेश भाई ने पंडित को अपने घर बुलाया | मुकेश भाई को जिस बात का डर था वही हुआ पर उन्होंने पंडित को पैसो से खरीद लिया | ये सब मुकेश भाई की पत्नी कृष्णा ने सुन लिया था अब मुकेश भाई पंडित को ले कर मोहन भाई के घर पहुंचे इससे पहले ही कृष्णा ने मोहन भाई को फोन कर दिया कि ''मेरे पति ये रिश्ता पैसो के लिये कर रहे है कुंडली मिली नहीं है |, सामने से मोहन भाई बोले मै बहुत खुश हूँ की लड़के की माँ इतनी ईमानदार और साफ दिल की है, और कहा कि बहन जी अब तो मुझे कुंडली भी नहीं मिलानी है, और अब शादी पक्की ही समझो |, अगर आप जैसी सास मेरी बेटी को मिल जाये तो इससे बढ़ कर और क्या है |खुशिया ही खुशिया भर जाएगी मेरी बेटी प्रिया के जीवन मे | जब बात चल ही  रही थी तो कृष्णा ने अपने मन का डर भी उनके सामने रख दिया | ''आप इतने अमीर हो मेरे बेटे को घर तो खरीद कर नहीं दोगे ना ,, अमित की माँ कृष्णा ने मोहन भाई को कहा | मोहन भाई ने कहा ''बहन जी घर तो आको लेना ही पड़ेगा,आपका घर है भी तो कितना छोटा |,वो बोली इसलिए ही मै अमित की शादी यहाँ करना नहीं चाहती थी |
                                           मोहन भाई हंसने लगे और कहा ''मै आपको इतना बड़ा घर लेकर दूंगा जिसमे आप सब आराम से रह पाओगे | मेरे तो ये एक ही बेटी है तो इसे ना दूँ  तो और किसे दूँ ,और हाँ आप डरिये बिलकुल भी नहीं मैंने अपनी बेटी को केवल पैसो की चका -चौध नहीं दिखाई है उसे अच्छे संस्कार भी दिए है की वो बड़ो का आदर -सम्मान करे |
                                           अब अमित की माँ कृष्णा ने चैन की साँस ली और अमित की शादी धूम -धाम से की | शादी हो जाने के बाद मोहन भाई ने कृष्णा को कहा कि लड़की के लिये पैसा वाला घर ही देखना मेरी नजर मे ठीक नहीं है पैसा ही सब कुछ नहीं होता एक अच्छी सास का होना भी बहुत जरुरी है और अच्छी बहु का होना भी जरुरी है तभी घर -घर बना रहता है मुकेश भाई ने अपनी पत्नी कृष्णा की सुलझी हुई सोच की बहुत तारीफ करी और सब खुश थे |
shanti ji kahani
                   शांति पुरोहित

9 टिप्पणियाँ:

  1. बहुत अच्छी कहानी , आपकी कहानियों के विषय हमेशा अच्छे होते हैं
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  2. बेहद खूबसूरत अहसास से सजी हुई कहानी
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  3. ek sakaratamak soch wali kahani par real life main kaha ho pata hain aisa?
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  4. सुन्दर प्रस्तुति शान्ति जी ..........
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  5. सुन्दर प्रस्तुति शान्ति जी
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  6. awesome jada paisa bhale na ho par insan sachchaa hona chahiye jindagi me sukun hona chahiye
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