Monday 1 April 2013


सार्थक होली

         
                                                   

          आज होली है और करुणा अपने घर के पूजा स्थल मे विराजित अपने कान्हा को सुगन्धित पुष्पों से होली खेला रही थी,तभी करुणा कि बारह साल की पोती प्रिया आई और कहा’’दादी,आप यहाँ बैठी हो,मैंने आपको सब जगह देखा|’’क्यों,क्या हुआ|,बाहर आओ ना रंग,गुलाल और पानी से होली खेलते है,अरे ! कहाँ है इतना पानी,बर्बाद करने के लिये| करुणा ने कहा | प्रिया को गुस्सा आगया ‘’आप को नहीं खेलना है तो मत खेलो मुझे तो खेलना है प्लीज आप पानी कि बर्बादी का वास्ता देकर मुझे मत रोको और वो चली गयी खेलने |
करुणा चुपचाप अपने कमरे मे जाकर बैठ गयी,सोचने लगी कि कैसे बच्चो को पानी कि कीमत समझाई जाये |करुणा ने मन ही मन कुछ तय किया,करुणा महाराष्ट्र मे रहती थी यहाँ पर पानी कि बहुत तंगी रहती है |पानी को देख कर ही खर्च किया जाता है|
कुछ दिनों बाद करुणा अपनी पोती प्रिया को उस जगह जे जाती है जहाँ,कई कई दिनों से पानी आता है |महाराष्ट्र का एक गाँव तो ऐसा है जहाँ पैतीस दिनों बाद पानी आता है |वहां के वासिंदो को पानी स्टोर करके रखना पड़ता है|करुणा अपने एक परिचित के घर प्रिया को ले कर जारही है रास्ते मे प्यास लगने पर प्रिया करुणा से बिसलेरी कि पानी कि बोटल खरीदने को बोलती है,तब करुणा ने कहा ‘यहाँ पानी ऐसे नहीं मिलता है ,तो कैसे मिलता है|’प्रिया ने पूछा,परिचित का घर आचुका था दोनों अन्दर गयी ,परस्पर अभिवादन के बाद सब बैठ गये थे |
करुणा ने बात शुरू करते हुए प्रिया से कहा ‘’यहाँ कई कई दिनों से पानी आता है .पीने के लिए ही मुश्किल से पानी मिलता है नहाने के लिए तो यहाँ कोई सोचता भी नहीं है |कई कई दिनों से यहाँ के लोग नहा पाते है |करुणा अपनी पोती को और भी कई घरो में ले कर गयी सब का यही हाल था सब पानी के लिये तरसते हुए नजर आये थे |
ये सब देख कर प्रिया बहुत दुखी हुई दादी से होली वाले दिन के लिए माफ़ी मांगने लगी’’मुझे नहीं पता था था कि पानी कि कितनी वेल्यु है हमारे जीवन मे,प्रिया ने कहा ‘’पानी बिना इंसान जिन्दा नहीं रह सकता है इसलिए आज से बल्कि अभी से तुम और तुम्हारे दोस्त सभी मिलकर ये वादा करो अपने आप से कि आगे से होली पर पानी कि बर्बादी नहीं करेंगे केवल पुष्प और गुलाल से होली खेलेंगे |’प्रिया ने अपनी दादी कि बात सहर्ष मानली करुणा ने पोती को गले से लगा लिया |


शांति पुरोहित

http://www.shuruaathindi.org/2013/03/blog-post_22.html

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